http://bharhaas.blogspot.com/2010/04/blog-post_9062.html
आज अनायास ही एक ब्लॉग पर पुन: जाना हुआ इसी ब्लॉग पर सानिया -शोइब प्रकरण पर एक लेख पर एक छोटी सी टिपण्णी डाली थी,जिसमें मैंने गालियों के प्रयोग को गलत माना था जिसके प्रतिउत्तर में एक पूरी की पूरी पोस्ट पढने को मिली ...
मुझे लगता है गाली देकर बात करने में आप अपना आक्रोश चाहें जसे भी निकाले पर वास्तव में आप अपमानित अपने आप को ही कर रहे होते है क्योंकि ये गालियाँ आपकी जननी ,बहिन ,पत्नी ,पुत्री समस्त नारी जाति से जुडी होती है, यदि किसी पुरुष ने कुछ गलत किया है तो आप गाली उसकी माँ को देते है,भारत में गालियों को सुभाषित की तरह बोला और दोहराया जाता है ..जुबान पर ऐसे चढ़ा लेते है मनो वाक्य में गाली नहीं शामिल करेंगे तो कुछ व्याकरण सम्बन्धी त्रुटी हो जायेगी
मुझे मेरी माँ ने सिखाया था "अच्छा पढ़ोगी ,तो अच्छा सोचोगी, अच्छा बोलोगी और अच्छा लिखोगी "
शायद ना मैं गालियाँ सुन पाती हूँ और ना ब्लॉग पर पढ़ पाती हूँ.
सही कहना है आपका
ReplyDeleteऐसी जगह जाना ही नहीं चाहिए
ReplyDelete"शायद ना मैं गालियाँ सुन पाती हूँ और ना ब्लॉग पर पढ़ पाती हूँ" - hona bhi yahi chahiye.
ReplyDeleteniche lata haya ji ki aik post ka link de raha hun aap chahen to ise padh sakti hain.
http://latahaya.blogspot.com/2010/03/blog-post_08.html
हमारे संस्कार ही हमारी पहचान है ......उच्च विचार है आपके .
ReplyDelete@राकेश जी ,
ReplyDeleteलिंक के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद,
गलत को गलत कहने का हौसला हमेशा रखना चाहती हूँ .
bahut khub
ReplyDeletebadhai is ke liye aap ko
or agar man ho raha he to sukha lijiyega
ReplyDeletena jane kab kaam aa jaye
bahut khub
badhai is ke liye aap ko
कौन किस स्तर के शब्दों का प्रयोग करता है यह उसकी जीवन शैली का परिचायक है ।
ReplyDeleteसंत न छोड़य संतई कोटिक मिलैं असंत ।
ब्लाग पर आना सार्थक हुआ
ReplyDeleteकाबिलेतारीफ़ प्रस्तुति
आपको बधाई
सृजन चलता रहे
साधुवाद...पुनः साधुवाद
satguru-satykikhoj.blogspot.com
मुझे लगता है गाली देकर बात करने में आप अपना आक्रोश चाहें जसे भी निकाले पर वास्तव में आप अपमानित अपने आप को ही कर रहे होते है क्योंकि ये गालियाँ आपकी जननी ,बहिन ,पत्नी ,पुत्री समस्त नारी जाति से जुडी होती है, ...सही कहना है आपका
ReplyDeleteसोनल जी बहुत अच्छे विचार हैं आपके .....
ReplyDeleteदरअसल गलियों से हमारा ही चरित्र सामने आता है ......!!
सच कहा .. सहमत हूँ आपसे ... आदर से बात करने में कुछ नही जाता ... न बोलना चाहें तो न बोले पर जितना बोलें अच्छा बोलें ..
ReplyDeletesahi kahna hai apka...
ReplyDeletewaise hamne bharhaas par bhi ek comment kiya hai.
"satya hai.. galiyan kayaron ka hathiyar hain...
galiyon se bhadas nikalkar samaj nahi badala jata...
rahi ankit ji ki baat...
vicharon ki aisi sagun abhivyakti ka bhi kya karna jo poori tarah nirarthak aur najayaj ke dayre mein aa jaati ho.
kutta kaat bhi le... to uske badle mein bhaunkna shuru kar dena...
baat kuchh ,,,
khair lage rahiye...
akhir kayrata ka bhi to koi manch hona hi chahiye naa...
""
shayad use approve na hi kar sakein ye bharhaasi log..
khair..
koi nahi...
kayaron ka bhi koi manch hona chahiye..
bahut sahi kahan aapne....lekin ye sirf bhaarat nahi...duniya mein har jagah hai.
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