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Thursday, June 17, 2010

पहली उड़ान है सपनो की

जबसे उसने हथेली में

 उगा चाँद देखा है
मैंने उसकी आँखों में
उभरता अरमान देखा है

निकली है पहली बार वो
तनहा सफ़र पर
नाजुक परो ने उसके 
विस्तृत आसमान देखा है

पहली उड़ान है सपनो की
साथ दुआए है अपनों की
माँ  की आँखों में आज
सुकून और इत्मीनान देखा है

17 comments:

  1. "छोटी-सी मगर सारगर्भित रचना...."

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  2. भावो को पूर्णता प्रदान करती आपकी ये पंक्तियाँ.....

    बहुत बढ़िया..

    कुंवर जी,

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  3. वाह....बहुत ही सुन्दर भावपूर्ण प्रेरणादायक रचना....
    रचना के भाव और सौंदर्य ,दोनों ने ही मन मोह लिया....

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  4. बहुत ही सुन्दर रचना।

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  5. mera bhi aashirwaad maa ke saath her nai udaan ko ........

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  6. आपकी यह रचना मजेदार है.
    अब अगली का इंतज़ार है...

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  7. बहुत सुन्दर सार्गर्भित रचना बधाई

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  8. एक नयी आशा को ले कर बुनी हुई सुन्दर रचना

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  9. माँए आँखों में इत्मिनान बड़ी मुश्किल से ही ला पाती है..
    वैसे तस्वीर ने कविता को और रोचक बना दिया है..

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  10. पहली उड़ान है सपनो की
    साथ दुआए है अपनों की
    माँ की आँखों में आज
    सुकून और इत्मीनान देखा है

    बहुत अच्छी रचना ... आशावादी ... मा की आँखों का सकूँ और हिम्मत देता है ... लाजवाब ...

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  11. प्रेरक - ऐसी उड़ने बहुत जरुरी हैं

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  12. ek dum positivity liye rachna ..doordarshan ka ek serial yaad aa gaya.."udaan".. :)

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  13. साथियो, आभार !!
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    स्नेहिल
    आपका
    शहरोज़

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  14. तस्वीर और कविता का गठबंधन मनमोहक है।

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