कुछ ख्वाब टूटे हुए
कुछ अपने छूटे हुए
टूटे को सहेजना है
छूटे को टेरना है
कुछ खुशबुए बिखरी हुई
कुछ लटें उलझी हुई
खुशबूं को समेटना है
लटों को सवारना है
कुछ जख्म रिसते हुए
कुछ अश्क छलके हुए
जख्मों को सीना है
अश्कों को पीना है
सब संवर जाएगा
मेरा रूप निखार जाएगा
साथ दे दो मेरा
मुझे अभी और जीना है
मेरा रूप निखार जाएगा
ReplyDeleteसाथ दे दो मेरा
मुझे अभी और जीना है
......बहुत खूब, लाजबाब !
.... काबिलेतारीफ बेहतरीन......
ReplyDelete"मुझे अभी और जीना है"
ReplyDeleteये कविता की पंच लाईन है.....बढ़िया लिखा है.."
साथ दे दो मेरा
ReplyDeleteमुझे अभी और जीना है
wow !!!!!!!!!!!
bahut acha
http://kavyawani.blogspot.com/
shekhar kumawat
साथ दे दो मेरा
ReplyDeleteमुझे अभी और जीना है.
...दिल से धन्यबाद...
कुछ जख्म रिसते हुए
ReplyDeleteकुछ अश्क छलके हुए
जख्मों को सीना है
अश्कों को पीना है
क्या बात है...बहुत खूब....
सब संवर जाएगा
मेरा रूप निखार जाएगा
साथ दे दो मेरा
मुझे अभी और जीना है
आशावादी सोच दर्शाती ..बहुत ही सुन्दर कविता है...
सोनलजी; बहुत अच्छा लिखा है . मुझे अभी और जीना है . अत्यंत ही सुन्दर और सशक्त आशावाद उभर कर आया है इस कविता में . हर इंसान को ऐसे ही सोचना चाहिए. जब जीने की तमन्ना दिल में होगी तो ही इंसान एक पूर्ण इंसान बन पायेगा.
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