वो मुझे हमेशा बहुत अजीब सी लगती..पता नहीं क्यों कुछ मरदाना सा चेहरा लंबा कद चौड़े कंधे , नारीसुलभ कोमलता का पूरी तरह अभाव ,बोली अभी अजीब सी मानो आवाज़ को खींच रही हो, होस्टल में सबके साथ घुलती मिलती पर मुझे वो अपनापन सहज नहीं लगता, यहाँ तक उसका छूना मुझे किसी पुरुष के स्पर्श की याद दिलाता और मैं और विचलित हो उठती .
मैं अपनी पढ़ाई में व्यस्त रहती, वो होस्टल की लड़कियों को अपनी कहानी सुनाती ..उसकी कहानी किसी फिल्म की कहानी की तरह लगती बचपन में पिता गुज़र गए माँ ने दूसरी शादी की नये पिता ने प्यार नहीं दिया, अब इस हॉस्टल में उसके कुछ अपने से लगने वाले लोग मिले है,
कालेज बंद होने पर २ माह के लिए होस्टल लगभग खाली हो गया..
एक हफ्ता घर पर बिताने के बाद जब मैं होस्टल वापस आई तो मेरे साइड वाले पलंग पर मधु को पाया , मधु अजीब लड़की का नाम मधु था, मेरी रूममेट निधि अपना बिस्तर उसको सौंप गई थी ,
अकेले सुनसान होस्टल में रहने की हिम्मत ना तो उसमे थी और ना मुझमें ..तो मजबूरी में मुस्कुरा कर समझोता कर लिया..वैसे भी सारा दिन प्रतियोगिताओं की तैयारी में बीतना था ..अपने आप को मन ही मन तैयार कर लिया उसके साथ रहने के लिए ....
क्रमश:
बड़ी जल्दी समेट दिया...उत्सुकता और बढ़ गयी
ReplyDeleteक्यूरोसिटी बढ़ गयी है... कैरेक्टर अच्छा बिल्ड किया आपने..
ReplyDeleteaage padhne kee betabi badh gayi.
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jaldi nayi post likhiye
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shubh kamnayen
bahut kam shabdo me samet kar aapne utsukta badhaa di hai...
ReplyDeletekhoobsoorat likha.....
ReplyDeleteभूमिका तो मिल गयी....अब आगे?
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