वो सहता गया....
दर्द उसको भी होता था
खून उसका भी रिसता था
तुम जख्म देते गए
वो सहता गया
तुम दोस्ती के नाम पर
मांगते रहे कुर्बानियाँ
वो तुम्हारे भरोसे पर
हर लम्हा साथ देता गया
तुमने मिटा दिया
उसने आह भी ना निकाली
ये दोस्ती का है इम्तिहान
हँस के वो कहता गया..
तुम दोस्ती के नाम पर
ReplyDeleteमांगते रहे कुर्बानियाँ
वो तुम्हारे भरोसे पर
हर लम्हा साथ देता गया
तुमने मिटा दिया
उसने आह भी ना निकाली
ये दोस्ती का है इम्तिहान
हँस के वो कहता गया..
बहुत सुन्दर !
हमेशा की तरह आपकी रचना जानदार और शानदार है।
ReplyDeleteये दोस्ती का है इम्तिहान
ReplyDeleteSONAL DIDI BAHUT HU SUNDER LIKHA HAI
छोटी रचना के माध्यम से बड़ा और संजीदा सन्देश
ReplyDeleteसुन्दर रचना है ...बधाई !
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