बहुत मुमकिन है
तुमको याद ना हो
तुम्हारी डायरी के
इक्किस्वे पन्ने पर
एक सूखा गुडहल
जो तुमने अपने हांथो से लगाया था
मेरे जूडे में
फिर मान के निशानी
दबा दिया डायरी में
उसकी साँसे
कल तक बाकि थी
आज ही दम तोडा है
अपने रिश्ते के साथ
अब शायद मुझको भी
दफ़न कर दोगे
मानकर निशानी
और भुला दोगे
जान कर याद पुरानी
पुरानी मीठी बातें याद दिलाने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद. बहुत सुन्दर रचना लगी. बधाई. किताबों में फूल का ज़िक्र अपने आप में दिल को गुदगुदा देता है और पुरानी यादों में ले जाता है,
ReplyDeletewww.nareshnashaad.blogspot.com
सुंदर कविता, अस्सी के दशक के किसी रूमानी फिल्म निर्देशक के कैमरे के दृश्य जैसी, मुहोब्बत के कई सारे शेड्स एक साथ लिए हुए. आपकी कविताएं और कहानियां दोनों समान रूप से सुंदर हैं.
ReplyDeleteसुंदर शब्दों के साथ ...... बहुत सुंदर रचना.....
ReplyDeleteसुंदर शब्दों के साथ ...... बहुत सुंदर रचना.....
ReplyDeletebahut hi jyada sundar....prem me virah...achcha prayog hai shabdon ka...
ReplyDeletehttp://dilkikalam-dileep.blogspot.com/
बड़ी रूमानियत भरी कविता है...एक अनछुआ अहसास और मीठी कसक लिए हुए
ReplyDeleteitni masum kavita. narayan narayan
ReplyDeleteबहुत मुमकिन है
ReplyDeleteतुमको याद ना हो
तुम्हारी डायरी के
इक्किस्वे पन्ने पर
एक सूखा गुडहल
जो तुमने अपने हांथो से लगाया था
...bahut badhiya,chhote-chhote sabdo se bhara khubsurat kavita. vaah.
सुंदर अभिव्यक्ति
ReplyDeleteहमलोग इस फूल को अड़हुल बोलते हैं.. कहते हैं माँ दुर्गा को यह विशेष रूप से प्रिय है...
ReplyDeleteकविता ले गयी पुराने दिनों में...
सुन्दर भावों को बखूबी शब्द जिस खूबसूरती से तराशा है। काबिले तारीफ है।
ReplyDeleteapnaa ek puraanaa she'r yaad ho aayaa...
ReplyDeleteye gar meri nishaani hotaa to, murjhaa gayaa hotaa
bataa ab tak hai taaza phool kaisaa tere baalon mein...?
अब शायद मुझको भी
ReplyDeleteदफ़न कर दोगे
मानकर निशानी
और भुला दोगे
जान कर याद पुरानी
और फिर याद पुरानी ही तो है जब आती है तो कसक छोड जाती है.
बहुत सुन्दर रचना
कविता को पङकर बरबस पहले प्रेम को याद
ReplyDeleteआ जाती है ऐसी मासूमियत प्रेम करने वाले
को ही महसूस होती है .
अधिकांश की व्यथा लिख दी . शिल्प के साथ ।
ReplyDeleteयाद बढ़िया है
ReplyDeleteयादे और वो भी अगर प्रेम की हो ,चाहे कामयाब प्रेम की हो अथवा नाकामयाब प्रेम की सच्ची होती है और उसमे से हर इंसान वही पता है जो उसने किसी और को दिया होगा
ReplyDeleteपुरानी यादों में पहुँचा दिया आपने ... गुलाब के फूल के साथ बहुत कुछ जुड़ा रहता है ....
ReplyDeletewaah waah waah ..ye hui na nazm ...bas mazaa aa gaya..baharhaal gulzaar saab ne thik iske ulat ek baat kahi thi ..batat hun ...
ReplyDeletenazm hai ..
" yaad hai ik din
mere mez pe baith baithe
tumne cigrette ki
ik dibiya par
ek chhote se paudhe ka
ek sketch banaya tha .. ?
aa kar dekho
us paudhe par phool aaya hai .."