मैं क्या सोचती हूँ ..दुनिया को कैसे देखती हूँ ..जब कुछ दिल को खुश करता है या ठेस पहुंचाता है बस लिख डालती हूँ ..मेरा ब्लॉग मेरी डायरी है ..जहाँ मैं अपने दिल की बात खुलकर रख पाती हूँ
Sunday, April 4, 2010
अजीब लड़की (२)
मेरे कमरे में उसकी उपस्थिति मानो किसी कुर्सी मेज की तरह थी मैं उसे पूरी तरह उपेक्षा दे रही थी ..मैं अपनी पढ़ाई में कोई भी व्यवधान नहीं चाहती थी,हालाँकि खाने के समय वो चुप्पी तोड़ने की बहुत कोशिश करती, ऐसा नहीं था मैं उससे जानबूझ कर रुखाई से पेश आ रही थी...पर मैं सहज नहीं थी ..
एक दिन आधी रात किसी की सिसकियों ने मुझे जगा दिया,लगा हॉस्टल में सुनाई जाने वाली कहानी की नायिका जिसने पता नहीं कितने साल पहले आत्महत्या कर ली थी
कही सूनसान होस्टल में वापस तो नहीं आ गई ,मैं हनुमान चालीसा शुरू करती उससे पहले साथ वाले पलंग पर कुछ हलचल महसूस की ..हाँ वो मधु ही थी,असमंजस में पड़ गई क्या करू दम साधे पड़ी रहूँ या पूछूं १० मिनट बाद दिल दिमाग पर हावी हुआ, हिम्मत कर के लाइट जलाई...मधु ने एक दवा की शीशी की ओर इशारा किया वो तकलीफ में थी अगले दो घंटे तक मेरे होश फाख्ता रहे उसने बताया उसे हार्ट की तकलीफ है उसके सुकून के सोने के बाद ही मैं सो पाई .
अपने में गहरा अपराधबोध महसूस किया,किसी को जाने बिना किसी के बारे में राय क्यों बना ली..उस रात के बाद मैं उसके साथ सहज हो गई मेरे खाली समय में वो अपने किस्से सुनाती मैं भी मुस्कुरा कर हामी भरती.
१ हफ्ते के लिए घर जाना था पड़ोस के रूम की नेहा को मधु को सौंप कर मैं चली गई ..घर पहुँच कहाँ कुछ याद रहता है बस माँ के हाँथ का खाना और आराम जब होस्टल लौटी तो पूरी रौनक वापस थी,सारी लडकिया आ चुकी थी और होस्टल गुलज़ार था,निधि दौड़ कर गले मिली और उससे ज्यादा प्यार से मधु ..निधि के चेहरे पर अजीब सी आश्चर्य मिश्रित मुस्कान फ़ैल गई जिसे मैं इग्नोर नहीं कर पाई, खाना खाने के बाद मैं निधि से गप्पे लगा ही रही थी हॉस्टल में शोर फ़ैल गया मधु की तबियत फिर खराब हो गई थी ,डॉक्टर को बुलाया गया था उस अजीब लड़की के परिवार के किसी सदस्य का नंबर नहीं था रिकॉर्ड में जो नंबर था वो गलत था,वो रोये जा रही थी डॉक्टर इंजेक्शन लगाकर चला गया ,मेरा मन करुना से भर गया इश्वर क्यों करता है किसी के साथ ऐसा, मैंने अपने मन की बात और लड़कियों से बांटने की कोशिश की तो सबने मुझे इन सब मामलों ना पड़कर अपनी पढ़ाई पर ध्यान देने को कहा ,कितनी स्वार्थी है दुनिया ........
ये घटनाएं मुझे उसके और करीब ले आई,मैं उसका ख़ास ख्याल रखने लगी शायद सब ऐसा ही चलता रहता पर उस दिन की घटना ने मुझे और मेरे विश्वास को हिला कर रख दिया ................................................................
क्रमश:
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khoobsoorat likha.....
ReplyDeletetime na mil pane ke karan thik se padha nahi paya hoon...kal padhunga
ReplyDeleteअच्छा लगा...
ReplyDeletenice
ReplyDeletemanavta sabse badi baat hai.
ReplyDeleteaap yado ko aise hi yaha ukerti rahein, ham padh rahe hain....
पढ़ना अच्छा लगा। आभार।
ReplyDeleteकथानक प्रभावित करता है।बधाई!
ReplyDeleteफ्लो बहुत जबरदस्त है..
ReplyDeletebahut achhi kahani.....
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