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Thursday, May 13, 2010

दिल में उतर रही हूँ मैं


कितना संभल कर चल रही हूँ मैं

फिर भी ना जाने क्यों फिसल रही हूँ मैं

आइना हर रोज़ दिखाता है निशाँ नए

इस कदर ना जाने क्यों बदल रही हूँ मैं

जब से चढ़ी है नज़र में खुमारी

किसी के दिल में उतर रही हूँ मैं

कल सरी महफ़िल शमा कतरा गई मुझसे

या खुदा इस कदर निखर रही हूँ मैं

मेरी साँसे मदहोश करती है उन्हें

इस गुरुर से अभी तक उबर रही हूँ मैं

"सोनल" ये सारे आसार है मर्ज़-ए-मुहब्बत के

कुछ हवा बहकी है कुछ बिगड़ रही हूँ मैं


29 comments:

  1. umda rachna.........

    baanch kar achha laga

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  2. कुछ हवा बहकी है कुछ बिगड़ रही हूँ मैं
    गुड गुड,
    हवा भी बहकी है और...

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  3. आइना हर रोज़ दिखता है निशाँ नए
    यहाँ दिखता की दिखाता होगा शायद । रचना बहुत अच्छी लगी ।

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  4. वाह! बहुत ही सुन्दर!

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  5. मामला गड़बड़ है!" गुरुदास मान जी का गाना याद आ गया था!

    वैसे खतरनाक लिखा है जी आज तो....



    कुंवर जी,

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  6. waah..........gazab ki prastuti hai..........bahut hi shokh , chanchal bhav bhare hain.......keep it up.

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  7. बहुत शानदार !
    अभिव्यक्ति को जैसे पर ही लग गए!
    बधाई!

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  8. फिर भी ना जाने क्यों फिसल रही हूँ मैं ...kiska asar hai ?

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  9. toooooooo good!!!!!!!!!! sonal ma'am
    fabulous
    ecstatic

    simply the best

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  10. बहुत शानदार !
    अभिव्यक्ति

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  11. खूबसूरत बयान कि‍या है मोहतरमा। इरशाद।

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  12. FISALIYE MAT DHYAN SE........
    SAMBHAL KAR CHALIYE........ZRAA

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  13. bahki hawa kee shikaar aap bhi !...
    shararat...kabhi aisi to na thi

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  14. कल सरी महफ़िल शमा कतरा गई मुझसे.. या खुदा इस कदर निखर रही हूँ मैं. बहुत खूब... वैसे पूरी नज़्म ही शानदार बन पडी है सोनल जी

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  15. आपकी भावनाएं बहुत ही शानदार है। अच्छा लगा। हमारे आसपास कुछ अच्छे लोगों का होना जरूरी है। आप जैसे रचनाकार इसका आभास देते हैं।

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  16. This comment has been removed by the author.

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  17. जब से चढ़ी है नज़र में खुमारी
    किसी के दिल में उतर रही हूँ मैं

    "सोनल" ये सारे आसार है मर्ज़-ए-मुहब्बत के
    कुछ तो हवा बहकी हुई है कुछ मचल रही हूँ मैं

    बहुत ही सुन्दर .बधाई!!

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  18. Hi..

    Tere blog pe aaya hun main..
    Aaj to main pahli hi baar..
    Aur hai paya gazal main tumne..
    Chhalkaya hai pyaar hi pyaar..

    Har ek sher pe "Wah" kahun main..
    Dil main mere aaya hai..
    Har ek sher ke bhav ne humko..
    Dil se bahut lubhaya hai..

    WAH..

    Aapke blog ka anusaran kar liya hai jis se aage bhi aapki 'kuchh kavitayen, kuchh nazmen' padhta rahun..

    Take care..

    DEEPAK..

    www.deepakjyoti.blogspot.com

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  19. कितना संभल कर चल रही हूँ मैं


    फिर भी ना जाने क्यों फिसल रही हूँ मैं


    आइना हर रोज़ दिखाता है निशाँ नए


    इस कदर ना जाने क्यों बदल रही हूँ मैं
    ....vaah ,umda rachna.

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  20. एक उम्र की खुमारी अक्सर ऐसे ही लफ्ज़ लिए होती है.. बढ़िया लिखा है

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  21. बेहतरीन भावाभिव्यक्ति के लिये साधुवाद स्वीकारें...

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  22. "सोनल" ये सारे आसार है मर्ज़-ए-मुहब्बत के
    कुछ हवा बहकी है कुछ बिगड़ रही हूँ मैं"

    वाह वाह ये रंग भी हैं आपके खजाने में बहुत खूब

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  23. हौसलाफजाई के लिए आप सभी की तहेदिल से आभारी हूँ

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  24. बेहतरीन!
    आपको आमंत्रण कभी आयें इस तरफ़ भी!
    "सच में"
    (www.sachmein.blogspot.com)

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  25. "सोनल" ये सारे आसार है मर्ज़-ए-मुहब्बत के

    कुछ हवा बहकी है कुछ बिगड़ रही हूँ मैं
    बहुत सुंदर रचना।

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