लिखो ना ..
पहली मुलाकात
हलकी हरारत
तेज़ धड़कन
आँखों में शरारत
लिखो ना ...
पहली छुअन
हलकी सरसराहट
तेज़ साँसे
बेहद घबराहट
लिखो ना ....
छोटी शामें
लम्बी रातें
बेबाक बे-तकल्लुफ
मीठी बातें
लिखो ना ...
सात फेरे
साथ मेरे
गूंजी शहनाई
नम बिदाई
लिखो ना ...
नया आँगन
सिमटी दुल्हन
कोरे रिश्ते
जुड़ते दिलसे
(जारी .... अभी बहुत लिखना है )
nice
ReplyDeleteबहुत कुछ लिख दिया आपने अब और क्या लिखूं
ReplyDeleteसुन्दर.............
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ReplyDeleteएतना सुंदर जिद के आगे कोई भी लिखने पर मजबूर हो जाएगा...
ReplyDeleteखूबसूरत ....बस यूँ ही लिखती रहो ना ...
ReplyDeleteपहली मुलाकात
ReplyDeleteहलकी हरारत
तेज़ धड़कन
आँखों में शरारत
बहुत कुछ शब्दों ने कहा. बाकी सब चित्र ने कह दिया.
वाह्
मैं तो सिर्फ इतना ही लिखकर जाऊंगा-
ReplyDeleteजबरदस्त सोनलजी... जबरदस्त..
आगे की प्रतीक्षा रहेगी
लिखो न,
ReplyDeleteलिखने का आनन्द,
पढ़ने की अकुलाहट,
बाहर का शोर,
शब्दों की आहट,
चाँद शब्दों में आपने बहुत कुछ कहा डाला .........
ReplyDeleteअति सुन्दर ..........
Hi..
ReplyDeleteJeevan rath chalta hai rahta..
Kavi hruday har pal kuchh kahta..
Likhna antheen rahta hai..
Kuchh na kuchh likhta hai rahta..
kramshah ke aage ki kahani..
sunne ko adheer ho rahe..
Padhkar teri kavita aadhi..
Laga ki jaise dherya kho rahe..
Agli kadi ki Pratiksha main..
Deepak..
likhti rahiye...aap ki is tarah ki nazmon ka ye craft mujhe bahut pasand hai ... chhoti chhoti lines....deewali ki chutputiya patakhon jaisi ..
ReplyDeleteआप तो बहुत सुन्दर लिखती हैं....चित्र भी खूबसूरत लगा.
ReplyDelete***********************
'पाखी की दुनिया' में आपका स्वागत है.
बहुत सुन्दर्।
ReplyDeletelikho na...aise hi roj roj man ki pati
ReplyDeleteki jalne aaye roj yahan sabke man ki bati..
hole hole dil ja raha hai..likho na :)
keep it up!!
क्या ज़िद है वो भी इतनी सादगी के साथ,
ReplyDelete.
इस सादगी पे कौन ना मर जाए ऐ ख़ुदा
लड़ते हैं मगर हाथ में तलवार भी नहीं.
दुल्हन सिमटी हुई है.. कमाल की बात है
ReplyDeleteअच्छी प्रस्तुति।
ReplyDeleteगोया .......रूमानियत फ़ैल गयी सफ्हे पे
ReplyDeleteबहुत सुन्दर्
ReplyDeleteअच्छी प्रस्तुति
पढने वाले पूछ रहे है कि बस.. इतना?
ReplyDeleteapke do shabdon ka jadooooooooooo mujh p chadta hi ja raha hai ........me apki har rachna ka diwana ho cgaya hun
ReplyDeleteलिखने बैठे तो बात दूर तलक जायेगी...
ReplyDeleteसुंदर रचना.
ओए ..ये कब लिखी ? और मैंने क्यों नहीं पढ़ी?वाह ये जो तुमने लिख डाला है न ..बड़ा मुश्किल है लिखना.
ReplyDeleteडेढ़ साल से पढ़ने वाले इंतज़ार कर रहे हैं लिखो ना !
ReplyDeleteबहुत ही निश्छल और प्यारी रचना !
"(जारी .... अभी बहुत लिखना है )
लिख गई थीं तुम हम तब से इंतज़ार में हैं
कब घोलोगी कानों में रस हम खु़मार में है !