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Wednesday, April 7, 2010

संवेदनाये मर चुकी है

संवेदनाये  मर चुकी है


लाशें जवानो पड़ी है

फुर्सत कहाँ हमको

सान्या- शोइब से आगे सोचे

भावनाए बिक चुकी है



जो बुद्धू बक्सा दिखाए

उसे सच मानते है

हैदराबाद के दंगे का कारण

कितने जानते है

सोच कुंद हो चुकी है



जब तक हमारे मुह पर

चांटा नहीं पड़ेगा

दर्द नहीं महसूस करेंगे

"ओह बुरा हुआ "कहकर

हाँथ झाड लेंगे



इंसानियत मिट चुकी है

13 comments:

  1. हर तरह से मानवता मिटती जा रही है . इंसानों के दिल में इसानों के प्रति कोई सहानुभूति नहीं बची. इस तरह से किसी की जान लेना किसी भी तरह से अपनी मांग मनवाने का सही तरीका नहीं कहा जा सकता. इसे भगवान भी सही नहीं कहेंगे. कहीं भी समस्याओं के प्रति गंभीरता नहीं दिखलाई देती. पता नहीं मानवता किस ओर जा रही है. केवल संवेदना व्यक्त करना ही अब कर्त्तव्य रह गया है . इसके बाद कुछ नहीं.

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  2. संवेदनाएं जाग कर करेंगी क्या ...जब भाई ही भाई का दुश्मन बना बैठा हो ...

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  3. बहुत बढिया जिनके वारे मे सोचना चाहिये उनके वारे मे न सोच कर एक भावी युगल के निजी जीवन मे तांक झांक कर रहे है ।बुद्धू बक्सा दंगे के वारे मे नही वल्कि रोचक बाते ही दिखायेगा इसको कहते है टी आर पी ।यह तो शुरू से ही नियम है अपनी पीठ दूसरे की पीठ दीवार ।""जाके पांव न पडी बिबांई वो क्या जाने पीर पराई

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  4. जब तक हमारे मुह पर
    चांटा नहीं पड़ेगा
    दर्द नहीं महसूस करेंगे
    "ओह बुरा हुआ "कहकर
    हाँथ झाड लेंगे
    इंसानियत मिट चुकी है
    sach mein aaj insaaniyat ka star girta jaa raha hai..... Maar-kaat kar lanshon ke dher dekhkar bhi log aise react karte hai jaise kuch nahu hua... phir bhi koi to hain jo sochte hain, jagrukta laane ke koshish mein lage rahte hai.........

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  5. पता नहीं लोग 'ओह बुरा हुआ' भी कहते होंगे या नहीं..
    ठीक कहा आपने..

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  6. संवेदनाये अब रिमोट तय करता है.....

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  7. sahi kaha laanat hai ham pe par kya ham bas lanat hi bhejte rahenge....

    http://dilkikalam-dileep.blogspot.com/

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  8. इंसानों के दिल में इसानों के प्रति कोई सहानुभूति नहीं बची.

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  9. भावनाए बिक चुकी है
    संवेदनाये मर चुकी है
    सदी की शुरुआत में ही
    इन्सानियत मिट रही है।

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  10. Bahut hi sahi baat kahi hai aapne. Hindustan mein jab tak Vote Bank ki raajneeti khatam nahin hogi tab tak yahan kuch nahin ho sakta.

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  11. Shayad hum is layak nh ki kuch kr payein.. Na to hum main Gandhi hai. na hi Bhagat Singh.. Sau crore ki aabadi waale Desh main shayad sau log nh hain jinme wo haunsla wo vishavvas ho ki wo kahein Main hamare desh main kuch galat nh hone doonga...

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