Pages

Sunday, April 25, 2010

कायर(कहानी)

एक


आज समाजशास्त्र की किताब पढ़ते हुए ,मेरा शारीर तो वही रह गया और मन पंख लगा कर उड़ गया, जरुरी पंक्तिया रेकंकित करते हुए न जाने कब किताब के आखिरी पन्ने पर तुम्हे उकेरने लगा,मुझे हमेशा ऐसा लगता है, तुम्हे मेरे से अच्छा कोई भी तस्वीर में नहीं उतार सकता,

शुरुवात तुम्हारी आँखों से की कितनी गहरी ,रेखाए तो खींच दी पर उनकी शरारत और भोलापन...चलो वो मेरी नज़र में है वैसे भी तस्वीर अपने लिए बना रहा हूँ .

तुम कैमरे से शर्माती क्यों हो सोचती हो तुम्हारी रुसवाई ना हो जाए पर तुम मेरे लिए बस एक युवा देह नहीं हो तुम्हारे लिए मेरा आकर्षण हमारे शरीरों के पुष्पित होने से पहले का है ,मैं समझाता हूँ तो तुम झिड़क कर कहती हो "सारे लड़के एक से ही होते है ", मुझे देखो महसूस करो मैं सब जैसा नहीं हूँ ....

प्रेमी नहीं अब मैं तुम्हारा उपासक बन गया हूँ,तुम्हारी एक मुस्कराहट से उम्र काट सकता हूँ .



दो

तुम सिसक रही हो ,मैं तुम्हारे आंसूं भी नहीं पोछ पा रहा हूँ ,कितने सवाल तुम्हारी आँखों में है ,सदमें में आ गया था जब तुमने कहा था एक नया रिश्ता तुम्हारे अन्दर सांस लेने लगा है,तुमने कितने विश्वास से कहा था मुझसे चलो ज़िन्दगी शुरू करेंगे और मैं आसमान से ज़मीन पर एक पल में आ गया था ,मेरी दोनों बहने अभी कुँवारी है ...रिश्ते कैसे होंगे ,जॉब भी नहीं है ...पढ़ाई का एक साल भी बाकी है अभी कैसे ...

तुम होठ वक्र करके कहती हो "कैसे " ये तुमने उस समय क्यों नहीं सोचा जब ..अपने वासना रहित प्रेम का विश्वास दिला कर मुझसे समर्पण माँगा था और कहा था "मैं सब जैसा नहीं हूँ " कायर

तीन

बाइस साल बीत गए .. तुम आज सामने खड़ी हो एक स्वनाम धन्य लेखिका ,समाज सेविका के रूप में जिसका जीवन वृत अपने आप में उदाहरण बन गया,अपनी संतान को बहुरास्ट्रीय कंपनी के उच्च पद पर बैठा कर स्वयं ज़मीन से जुड़ गई,हिंदी दिवस पर तुम्हारे सम्मान में ये आयोजन है ,मुझे स्वागत भाषण देना है , मेरे हाँथ काँप रहे है अतीत तेजी से आँखों के सामने घूम रहा है. तुम गुलदस्ता स्वीकार करती हो ..तम्हारे होंठो पर वह वक्र मुस्कराहट दौड़ जाती है .

मैं बौना होता जा रहा हूँ ..तुम्हारा कद आसमान छू रहा है ...मैं विचार शून्य हो गया हूँ ,तुम्हारे सामने खड़ा नहीं हो पा रहा .....मैं धीमे क़दमों से निकल जाता हूँ .... एक कायर की तरह

8 comments:

  1. achchhi qalam chalai aapne is vidha me bhi..
    badhai Sonal ji

    ReplyDelete
  2. वाह ....Sonal जी गज़ब का लिखतीं हैं आप .......!!

    ReplyDelete
  3. वाह..! ये पहला रिएक्शन है पढ़ते ही जो आया.. कहानी को तीन भागो में बांटकर दिलचस्पी बढ़ाते हुए आपने गहरी बात कह दी.. आधी दुनिया में ऐसे कई कायरघुमते है..

    ReplyDelete
  4. "bahut hi acchi post ..aapki lekhanee ko salam "

    ----- eksacchai { AAWAZ }

    http://eksacchai.blogspot.com

    ReplyDelete
  5. सोनल जी आप की यह कहानी बहुत अच्छी लगी.
    भावों को बहुत ही खूबसूरती से शब्दों में बंधा है.

    ReplyDelete
  6. बहुत ही बढ़िया कहानी...कमाल का लेखन है

    ReplyDelete