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Friday, April 30, 2010

वो सहता गया....


दर्द उसको भी होता था

खून उसका भी रिसता  था
तुम जख्म देते गए
वो सहता गया

तुम दोस्ती के नाम पर
मांगते रहे कुर्बानियाँ
वो तुम्हारे भरोसे पर
हर लम्हा साथ देता गया


तुमने मिटा दिया
उसने आह भी ना निकाली
ये दोस्ती का है इम्तिहान
हँस के वो कहता गया..

5 comments:

  1. तुम दोस्ती के नाम पर
    मांगते रहे कुर्बानियाँ
    वो तुम्हारे भरोसे पर
    हर लम्हा साथ देता गया
    तुमने मिटा दिया
    उसने आह भी ना निकाली
    ये दोस्ती का है इम्तिहान
    हँस के वो कहता गया..

    बहुत सुन्दर !

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  2. हमेशा की तरह आपकी रचना जानदार और शानदार है।

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  3. ये दोस्ती का है इम्तिहान

    SONAL DIDI BAHUT HU SUNDER LIKHA HAI

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  4. छोटी रचना के माध्यम से बड़ा और संजीदा सन्देश

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  5. सुन्दर रचना है ...बधाई !

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