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Wednesday, March 10, 2010

ज़िन्दगी रुकी क्यों है !

कल खुदा से मेरी मुलाक़ात हुई

पता नहीं उसकी सूरत मेरे सनम सी क्यों थी
चेहरा तो रोशन चिराग सा था
आँखों के कोनों में नमी सी क्यों थी

वो करता रहा मुझसे बात
और मेरे दर्द भी बांटता रहा
जो भी कहा सुना उसने गौर से
मेरे दिल में भी झाकता रहा

गर उससे  नहीं है कोई भी रिश्ता
ज़िन्दगी उस लम्हात पर रुकी क्यों है ......

13 comments:

  1. हर शब्‍द में गहराई, बहुत ही बेहतरीन प्रस्‍तुति ।

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  2. "वो करता रहा मुझसे बात
    और मेरे दर्द भी बांटता रहा
    जो भी कहा सुना उसने गौर से
    मेरे दिल में भी झाकता रहा"
    उच्चस्तरीय रचना बधाई - पाठकों को बहुत मशक्कत करनी पड़ेगी.

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  3. kya kahun...bahut touching
    sanam aur khuda...kya khoob kaha

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  4. चेहरा तो रोशन चिराग सा था/आँखों के कोनों में नमी सी क्यों थी
    बहुत बढ़िया पंक्तिया

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  5. बिल्कुल अलग शैली और अंदाज़ दिखा आपका ..लिखती रहें ..बहुत संभावनाएं दिख रही हैं ..आगे भी पढते रहेंगे
    अजय कुमार झा

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  6. पहली बार आपके ब्लॉग पर आया.. देखा तो बहुत ही ख़ूबसूरत कविता से तार्रुफ़ हुआ..
    आभार..
    जय हिंद..

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  7. तू है या खुदा है
    हमें तो बस इतना पता है
    कि...... हमारा दर्द तुमसे है
    हमारा सुकून तुमसे है
    हमें क्या फर्क...................
    हमारा प्यार खुदा है या खुदा का बंदा !!

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  8. mujhe ek ek pankti achi lagi.....sach mei pyar mei khuda ki surat sanam se hi milti hei.....amin

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  9. सबसे अलग सबसे जुदा....सुन्दर....

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  10. मेरे पास शब्द नहीं हैं!!!!

    tareef ke liyee..

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  11. achhi rachna hai ..shuruwati misre padh ke kisi ka likha ek sher yaad ho aaya ki

    ibadat ki ibaadat hai mohabbat ki mohabbat hai
    mere mashook ki soort khuda se milti julti hai

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