त्राहिमाम !!!!
आजकल ब्लॉग जगत पर धर्म-चर्चा पर महासंग्राम मचा है ,लोग लैपटॉप मोबाइल लेकर जुट गए है ,ऐसी-तैसी करने में और करवाने में, अपन को तो ये एकदम हिट टोपिक लगता है बीड़ू, वो क्या कहते है हिंग लगे ना फिटकरी और रंग चोखा..गूगल उठाओ और ऐसी हज़ारों मेल में से कोई सी भी उठा लो जो विवादस्पद हो ...जो विवादों में आ गया उसके तो १०० दिन क्या सौ हफ्ते पूरे...
अगर देखा जाए तो अश्लील चर्चा के बाद लीगों धर्म और राजनीति की चर्चा में मज़ा आता है ... भैया ऊपर वाला तो आने से रहा इनकी कही बातों का खंडन और समर्थन करने तो ज़मीन वाले लगे है अपनी कहानिया गढ़ने में , समर्थन और विरोध का आन्दोलन चलाने में...
ज्ञान तो इतना बाँट रहे है मानो जगद्गुरु,पैगम्बर साहिब और सभी पूजनीय विद्वान् इनको व्यक्तिगत रूप से लिखवा कर गए है
मान गए
अच्छी कहानिया और चर्चा तो आजकल गायब है शुक्र है चिट्ठाचर्चा जैसे अच्छे ब्लॉग कुछ पढने के लिए दे देते है वरना तो बस वही.
कुछ अच्छे ब्लॉगरगण इन चक्करों में पड़ कर बढिया-बढिया लिखना भूल गए है वापस आजाओ..
अब लगता है दिमाग का ज्वालामुखी फट ही जाएगा इससे पहले मेरे छोटे से दिमाग (मेरा मानना है की है ) की बरात निकल जाए या तो चिट्ठाजगत इन महानुभावों को अलग से पोर्टल दे दे या हमें अधिकार की ये सब हमको दिखे ही ना
"रंग स्याह हांथो में उठाये घूम रहे है
किसको कितना काला करे
इसकी लगी है होड़
जहाँ इनकी हद ख़त्म हो
कोई बताये मुझे
कितनी दूर है वो मोड़ "
सोनल जी एकदम दुरूस्त फ़रमाया आपने ..मगर जो जैसा कर रहा है करने दें ..और आप और हम जैसे ब्लोग्गर्स अपना काम करें साथ में एक काम और इनकी पूर्ण उपेक्षा ...सब अपने आप ठीक हो जाएगा ..
ReplyDeleteअजय कुमार झा
सही स्थिति का आकलन किया है आपने.
ReplyDeleteघमासान जारी है
ajay ji ne bilkul sahi kaha hai
ReplyDeleteधत्त तेरे की कचूमर कर दिया आपने तो सारे बिलावों का....अरे सॉरी सॉरी बिलागारों का.....मैं तो भाग रहा हूँ.....अरे बचाओ.....अब बिलागारों का कुछ भी हो सकता है.....वैसे एक बात बताऊँ....मेरी साड़े तीन वर्षीय बिटिया मुझे एक कविता सुनाती है.....मछली का बच्चा....अंडे से निकला....पापा ने पकड़ा....मम्मी ने पकाया....हम सने खाया.....बड़ा मज़ा आया....बड़ा मज़ा आया.....ठीक वैसा ही मज़ा मुझे यहाँ भी आया.....सच.....!!
ReplyDeleteहर जगह यही ओढ़ मची है .....कौन किस को कितना पीछे कर दे .....और खुद आगे निकल जाये .
ReplyDeleteआपने स्थिति का सही आकलन किया है मेरे विचार से चर्चा होनी चाहिये किंतु एक सीमा के बाद यह कुचर्चा में परिवर्तित हो जाती है, इसका ध्यान रखना चाहिये.
ReplyDeleteएक कहावत है....खाईला त गईल बेटा....
ReplyDeleteअब कह रहा हूँ .....लिखला त गईला बेटा....
मतलब कि जहाँ आप फालतू बातों पे कमेन्ट किये कि फंस गए फालतू लोगों के जाल में....
........चलिए अपना मूड ठीक रखिये....इसे पढ़ कर.....
...............
विलुप्त होती... .....नानी-दादी की पहेलियाँ.........परिणाम..... ( लड्डू बोलता है....इंजीनियर के दिल से....)
http://laddoospeaks.blogspot.com/2010/03/blog-post_24.html
बहुत खूब! जय हो!
ReplyDeleteha..ha..ha...ha...ye sab to chalta hi rahataa hai.....
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