अभी अभी पता चला , २२ मार्च अंतरास्ट्रीय जल दिवस है , तो हमने सोचा जल से जुड़े कुछ मुहावरे याद किये जाए
१. जल में रहकर मगर से बैर
२.आँखों का पानी मरना
३. चुल्लू भर पानी में डूब मरना
४. पानी पी पी कर कोसना
५. पानी उतर जाना
बाकी कुछ आपलोग योगदान कीजिये , रहीम जी तो कह गए
"रहिमन पानी राखिये बिन पानी सब सून " पर बताया नहीं कौन सा पानी रखे RO वाला ,बिसलरी वाला या मुनिस्पल्टी के नलों वाला, पहले कहीं कहीं प्याऊ भी दिख जाते थे पर अब तो बीती बात है ,पानी कीमती हो गया है इसका नदाज़ आप इस बात से लगा सकते है ...जो जल पहले लोग बिना किसी स्वार्थ के पिला देते थे आज उसी के १० से १५ रुपये तक वसूल हो रहे है ,
अभी कुछ दिन पहले माल में एक बच्चे को बोलते सूना "मम्मी मुझे कोल्ड ड्रिंक की प्यास लगी है " हम तो हक्के बक्के मियाँ पानी की प्यास तो समझे पर ये कौन सी प्यास है ..
अभी तो ये पानी क्या क्या रंग दिखाएगा
पानी ही नहीं होगा जो बंधू
तू कैसे धोएगा और कैसे नहायेगा
सार तो यही है पानी सहेजो व्यर्थ ना करो चाहे नलों से आ रहा हो ,आँखों से बह रहा हो .....
बढ़िया!
ReplyDeleteहिन्दी में विशिष्ट लेखन का आपका योगदान सराहनीय है. आपको साधुवाद!!
लेखन के साथ साथ प्रतिभा प्रोत्साहन हेतु टिप्पणी करना आपका कर्तव्य है एवं भाषा के प्रचार प्रसार हेतु अपने कर्तव्यों का निर्वहन करें. यह एक निवेदन मात्र है.
अनेक शुभकामनाएँ.
बढ़िया प्रस्तुति ......सच ''बिन पानी सब सून ''
ReplyDeleteअभी तो ये पानी क्या क्या रंग दिखाएगा
ReplyDeleteपानी ही नहीं होगा जो बंधू
तू कैसे धोएगा और कैसे नहायेगा
LAJWAAB RACHNAA
mujhe bhi bas abhi-abhi pta chla hai ke aah jal-divas hai!
ReplyDeletegood...
kunwar ji,