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Friday, March 12, 2010

आप नहीं समझेंगे


आप नहीं समझेंगे ,


आपको कभी किसी ने घर से निकलने से पहले रोका नहीं ,

आपके कुरते के गले की गहराई पर किसी ने टोका नहीं

जब आप सड़क पर निकले किसी ने सीटी बजाई नहीं

बिना बात आपके चरित्र पर कभी ऊँगली उठाई नहीं

आप नहीं समझेंगे ......


आपको किसी ने बोझ की तरह देखा नहीं

कभी सरे राह तेज़ाब आप पर फेंका नहीं

किसी ने आपको जड़ से उखाड़ा नहीं

बदला न आगन चौखट चौबारा कभी

आप नहीं समझेंगे ........


देह ने क्या कभी इतने परिवर्तन सहे

एक नव जीवन कोख में नौ माह तक लिए

खोया अपना रस-रूप-यौवन सभी

अपने मन से और तन से कभी विवश हुए

आप नहीं समझेंगे ........


इतना है काफी आप साथ चलते है

आपके साथ हम अपने पल बाँट सकते है

पर नारी जीवन को नारी ही जाने

ये नारी विमर्श है सब मीमांसा के बहाने



अंत में आप नहीं समझेंगे

19 comments:

  1. बहुत ही सुन्‍दर प्रस्‍तुति ।

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  2. PLZ VISIT MY NEW POST...

    "तेरे लायक नहीं, जनता हूँ"

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  3. ये भी कहने का ढंग है और अच्छा ढंग है! खूबसूरत प्रस्तुती!

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  4. देह ने क्या कभी इतने परिवर्तन सहे

    एक नव जीवन कोख में नौ माह तक लिए

    खोया अपना रस-रूप-यौवन सभी

    अपने मन से और तन से कभी विवश हुए

    आप नहीं समझेंगे ........

    ये मजबुरी नहीं , यह किसी तरह का दबाव नहीं है , यह मातृत्व सुख है । बढ़िया लगा आपको पढ़ना । स्वागत है आपका स्त्री विमर्श क्षेत्र में । ाा

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  5. एक औरत के दर्द को आपने बहुत अच्छे से व्यक्त किया है। प्रशंसनीय।

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  6. मुश्किल तो है समझना - कविता अच्छी लगी.

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  7. purush ke liye asambhav nahin to atyant mushkil jaroor hai is dard ko samajhna

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  8. बहुत बहुत धन्यवाद ...अरे आप सभी समझ गए ...

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  9. कहकर भी जो न कह पाये, बड़ी खूबसूरती से आपने बिन कहे कहा

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  10. इतना है काफी आप साथ चलते है

    आपके साथ हम अपने पल बाँट सकते है
    .....एक-एक शब्द पुरुषों के लिए मनन करने योग्य....
    पूरी कविता लाजबाब.

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  11. Hmmmm, Baat to sahi hai...Jaake pair na phati biwai, woh kya jaane peer paraiyi...
    Par yeh peer paraiyi nahin hoti hai.
    Us purush ki bhi to sochiye jo cahakar bhi iss dard ko, iss mushkil ko share nahin kar sakta.

    'इतना है काफी आप साथ चलते है' sab se khoobsoorat pankti hai.

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  12. A real social thought in poetic soul. Congratulations for this.

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  13. Baki sab baton ke liye aapka samarthan karta hoon aur dukh ko samajh sakta hoon .. lekin kya aapko lagta hai ye bhi theek hai??
    आपके कुरते के गले की गहराई पर किसी ने टोका नहीं
    zara sochiye kya vastav me is ke liye nahin toka jana chahiye??

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  14. सोनल जी वाकई आपकी कविता ने "भारतीय" नारी के दर्द को सुंदर तरिके से उकेरा है , आपको पढ़ना बहुत अच्छा लगा

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  15. hum sab samjhenge............

    apke blog ko kuch hi din phle suru kiya hai padhna
    aur.... ab me kho chuka iski vaadiyo me

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  16. Sonal ji, aap ne jo bhi likha sab sach hi to hai! Bahut khub, likhte rahiye!

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  17. behad khub sonal ji.. acchi lagi rachna...

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