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Sunday, March 14, 2010

लायक बच्चे- पर हो कैसे ?

लायक बच्चे पर हो कैसे

चचा कल्वे जरा बतलाईयेगा

बच्चे जनना हमे पता है

लायक कैसे बने समझाइएगा



जब से सुना है दुविधा में है

अज्ञानी है ज्ञान नहीं है

आपके शब्दकोष में भी

शिक्षा को भी स्थान नहीं है



एसा कोई मंत्र बता दे

हर बच्चा हम योग्य जने

सब बने डॉक्टर इंजिनियर

न कोई निठल्ला बेकार रहे



ये आविष्कार गर आप करे चचा

तो कमाल हो जाएगा

नोबेल,आस्कर योग्य सुतों को

आपको भारत रत्न मिल जाएगा

11 comments:

  1. दिल को छू रही है यह कविता .......... सत्य की बेहद करीब है ..........

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  2. एक दम ताजा पंक्तियाँ है ब्लॉग रोल में देखते ही इधर आना पड़ा. साफ़ सीधी और ज़ाहिर बात है मगर सवाल बड़ा संजीदा पूछा है यानि कविता किसी सोच की ओर धकेलती है.

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  3. अच्छा व्यंगात्मक टच है कविता में........"
    amitraghat.blogspot.com

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  4. गर चचा कल्वे करलें कोई आविष्कार
    मिल जाए उन्हें मंत्र कोई
    तो साझा करना हमसे जरूर
    ताकि कोई जन पाए न निठल्ला बेकार ,
    योग्य सुतों की हो जाए भरमार......
    सोनाली जी आपकी कविता में अच्छा पुट है व्यंग्य का ..

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  5. सटीक कटाक्ष । शुभकामनायें

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  6. पहली बात...कलवे जव्वाद नहीं....कलवे जल्लाद....
    दूसरी बात....वे लायक बनाना नहीं जल्लाद बनाना सिखायेंगे...
    तीसरी बात...चाचा कहकर आपने चाचाओं का अपमान किया है...
    चौथी बात..कविता अच्छी है इसलिए आपको माफ किया...
    लड्डू बोलता है...

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  7. बहुत सही और समयानुकूल. काश,कल्वे जव्वाद भी पढ सकते इसे!!

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  8. @कृष्ण मुरारी जी
    हम तो अपने सहिष्णु संस्कारों से विवश है किसी बुजुर्गवार का नाम बिगाड़ नहीं सकते और रही बात चचा कहने की तो भारतीय होने के नाते बिना रिश्ता लगाये हम किसी से बात कैसे करे ...अब चाहे योग्य हो ना हो रहेंगे तो कल्वे चचा ही

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  9. बहेतरीन प्रस्तुति...

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  10. .....प्रभावशाली व प्रसंशनीय रचना, बधाई !!!!!

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  11. इतने सहज तरीके से इतनी बड़ी बात - ये कमाल नहीं तो और क्या है.

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