बादल समेट लिए हमने की मुश्किल में काम आयें
सूख गई है आँखें इतने गम के मौसम छाये
रोने को बस बादलों का ही सहारा है
जब बरसे तो समझो ये अश्क हमारा है
आप खुशनसीब है की आपकी आँखों में अभी नमी है
हमको तो इस नमी की भी कमी है
हसे या रोये हर वक्त बस तन्हाई थी
आईना भी हैरान है आखिरी बार कब तू मुस्काई थी
दिल के किस कोने से निकालती हैं आप ऐसी कविता.....
ReplyDeleteसुंदर रचना.. बेहतरीन प्रयास
ReplyDeleteदर्द को खूब छलकाया है...उम्दा रचना..
ReplyDeleteबहुत बढ़िया..भावपूर्ण!
ReplyDeleteदर्द को खूब छलकाया है...उम्दा रचना..
ReplyDeleteमेरे पास शब्द नहीं हैं!!!!
ReplyDeleteaapki ki tareef ke liye
behtreen parastuti..........
बेहतरीन भावपूर्ण रचना..सुन्दर प्रस्तुति...बधाई.
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"शब्द-शिखर" पर - हिन्दी की तलाश जारी है
"आप खुशनसीब है की आपकी आँखों में अभी नमी है
ReplyDeleteहमको तो इस नमी की भी कमी है"
दिल से दुआ - आपकी और हम सब की आखों की नमी बनी रहे और आप यों ही लिखती रहें.