Pages

Thursday, March 11, 2010

इतना सा फलसफा.................

इतना सा फलसफा है इतनी सी ज़िन्दगी है'



,करना है काम बहुत पर वक़्त कि कमी है ,


हमने बहुत सोचा क्या क्या न कर गए हम ,


अपनी तरक्की के खातिर हद से गुज़र गए हम


,उचाईयों पर जाकर पीछे जो हमने देखा ,


रह गए थे तनहा परछाई भी नहीं थी ......


एक वो भी दौर था जब भीड़ से घिरे थे,


न जाने कितने लम्हे बाहों में आ गिरे थे,


हमको कहाँ थी फुर्सत उनको गले लगाते


आज सूनी हैं बाहें और आँख में नमी है


इतना सा फलसफा है .......................

11 comments:

  1. अच्छा लिखा आपने इतना काम करने से क्या फायदा जब साथ खुशियाँ बाँटने वाला ही कोई नहीं हो.........."
    प्रणव सक्सैना
    amitraghat.blogspot.com

    ReplyDelete
  2. बहुत खूब,मनुष्य सफलता के पीछे भागता रहता है और वही जब एक दिन मिल जाते है तो याद आता है की इस भागम भाग में हमारे अपने तो न जाने कहाँ रह गए ,हम तो अकेले ही बचे हैं .

    सुन्दर रचना .

    विकास पाण्डेय
    www.विचारो का दर्पण.blogspot.com

    ReplyDelete
  3. dil ko choo gayee aapkee rachana . kuch pane ke liye kuch khona padta hai........shubhkamnae......

    ReplyDelete
  4. bas itna sa hi falsafa hai ji,,,,
    koi samajh le to..
    good,
    kunwarji

    ReplyDelete
  5. बहुत खूब।
    फिर आज मुझे तुमको बस इतना बताना है।
    चलना ही जीवन है और चलते ही जाना है॥
    तो बस चले जा रहे हैं सब, पर कहाँ जा रहें हैं किसी को पता नहीं है। एक अच्छी कविता के लिये धन्यवाद।

    ReplyDelete
  6. इतना सा फलसफा है इतनी सी ज़िन्दगी है'



    ,करना है काम बहुत पर वक़्त कि कमी है ,
    पूरी रचना ही बहुत अच्छी लगी। दिल को छू गयी। चलते जाना ही जिन्दगी है। शुभकामनायें

    ReplyDelete
  7. कितना आगे पहुंचे,,क्या कोई हद तय करेंगें हम..अपने अंकल की बनी फिल्म की याद आ गई...कहां भागे जा रहे हैं हम...

    ReplyDelete
  8. बहुत खूब।
    फिर आज मुझे तुमको बस इतना बताना है।
    चलना ही जीवन है और चलते ही जाना है॥
    एक अच्छी कविता के लिये धन्यवाद।

    ReplyDelete