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Tuesday, March 16, 2010

नव स्पंदन स्वीकार करो

इस नव वर्ष के अभिनन्दन को
मैं बोलो क्या श्रिंगार करूँ
पुष्प सजाऊं धुप जलाऊं
चन्दन अंगीकार करूँ


नूतन वर्ष है नूतन योवन
नूतन भाव सजे हैं स्वप्न
स्वप्नों में तुम आन बसे प्रिय
नव स्पंदन स्वीकार करो

नव क्षण का उत्साह अमित है
सब कुछ शुभ शुभ लगता है
इस पावन अवसर पर तुमको
नेह अपना उपहार करूँ

नव वर्ष  मंगलमय हो

15 comments:

  1. स्वप्नों में तुम आन बसे प्रिय
    नव स्पंदन स्वीकार करो
    अतिमनोहारी शब्दों के द्वारा पिरोये हुए अत्यंत सुन्दर भाव की रचना

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  2. हर शब्‍द में गहराई, बहुत ही बेहतरीन प्रस्‍तुति ।

    बहुत ही सुन्‍दर प्रस्‍तुति ।

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  3. इस नव वर्ष के अभिनन्दन को
    मैं बोलो क्या श्रिंगार करूँ
    पुष्प सजाऊं धुप जलाऊं
    चन्दन अंगीकार करूँ

    ...इन पंक्तियों ने दिल छू लिया... बहुत सुंदर ....रचना....

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  4. SONAL JI
    BLOG PAR AANE KE LIYE
    AAP KAA BAHUT -BHAUT SHUKRIYAA
    AAGE BHI AAP MERA HOSLA BADHAINGI..

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  5. सुन्दर!


    आप को नव विक्रम सम्वत्सर-२०६७ और चैत्र नवरात्रि के शुभ अवसर पर हार्दिक बधाई और शुभकामनाएँ .....

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  6. नव क्षण का उत्साह अमित है
    सब कुछ शुभ शुभ लगता है
    इस पावन अवसर पर तुमको
    नेह अपना उपहार करूँ

    बहुत सुंदर!

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  7. नव क्षण का उत्साह अमित है
    सब कुछ शुभ शुभ लगता है
    इस पावन अवसर पर तुमको
    नेह अपना उपहार करूँ
    Bahut sundar...derse sahi,aapko nutan warsh kee anek shubhkamnayen!

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  8. नूतन वर्ष शुभ हो.:)

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  9. Sonal ji....

    Naye varsh main, nayi ummeden...
    Nav-swapnon ki raah..
    Poorn sabhi hon, sabke, apni...
    Etni si hi chaah..

    Mere hruday bhi chahat aisi...
    Main bhi angikaar karun..
    Swapn adhure kab se mere...
    Kuchh to main sakaar karun...

    Sadar...

    Deepk...

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  10. इस पावन अवसर पर तुमको
    नेह अपना उपहार करूँ .....सुंदर रचना

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  11. सुंदर भावाभिव्यक्‍ति ।

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