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Friday, March 26, 2010

नैनो की आत्महत्या!


ये तो होना ही था भैया आखिर कब तक कोई कार अत्याचार सहन करे, बड़े लाड से लाये थे नैनो को तारीफ़ में भी पुल क्या पूरे पूरे flyover बना दिये..छोटी सी प्यारी सी सजी धजी नैनो लोगों की आँखों का सपना बन गई.. कार मेले में जब मुह दिखाई हुई तो भीड़ के सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए ..

हर कोई यही गीत गा रहा था "मेरे सपनो की नैनो कब आएगी तू "...

इंतज़ार ख़त्म हुआ और किस्मत वालो को मौक़ा मिला अपने घर लाने का..अड़ोसी पडोसी अपनी लाखों की कार को छोड़ कर नैनो पर निगाह लगाने लगे ..करोड़पतिओं के लाडलों को भी नैनो ललचाने लगी...

असली मोड़ तो तब आया जब ये आम होकर भी ख़ास कार सडको पर उतरी बड़ी बड़ी गाड़ियों ने डराना शुरू किया...अल्टो से लेकर औडी सब हिराकत की नज़र से देखने लगी,किसी पार्किंग lot में तनहा खड़ी देसी नैनो का किसी कार ने भी स्वागत नहीं किया विदेसी कारों ने तो नज़र भी नहीं डाली और देसी तो वैसे ही कुढ़ी बैठी थी.

अकेलेपन,तानो से आहत आखिर नैनो ने खुद को समाप्त करने का निर्णय लिया..... और जल गई नैनो



दो मिनट का मौन तो बनता ही है

15 comments:

  1. दो मिनट का मौन तो बनता ही है

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  2. "अल्टो से लेकर औडी सब हिराकत की नज़र से देखने लगी,किसी पार्किंग lot में तनहा खड़ी देसी नैनो का किसी कार ने भी स्वागत नहीं किया विदेसी कारों ने तो नज़र भी नहीं डाली और देसी तो वैसे ही कुढ़ी बैठी थी.

    अकेलेपन,तानो से आहत आखिर नैनो ने खुद को समाप्त करने का निर्णय लिया..... और जल गई नैनो "

    Ha-ha, बहुत खूब, बहुत कुछ कहता सुन्दर लेख !

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  3. बहुत खूब, बहुत कुछ कहता सुन्दर लेख !

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  4. बहुत बढिया जी , क्या बात है

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  5. बढिया अभिव्‍यक्त्‍ि .. दो मिनट का मौन तो बनता ही है !!

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  6. मौन नहीं मुखरता बनती है बॉस!
    आप की यह रचना पढ़ी तो सारी ही पढ़ गया। कमेण्टाया इसी पर क्योंकि सभी रचनाएँ अच्छी लगीं और बिना प्रयास के, सहज-स्वाभाविक अभिव्यक्ति दिखी हर रचना में। आप अच्छा लिख रही हैं, जारी रहिए, ब्लॉग-जगत का भला ही हो रहा है।

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  7. वाह! बहुत खूब! बेचारी नैनो!

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  8. ..बहुत खूब, प्रभावशाली अभिव्यक्ति!!!!

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  9. baap re baap.......maine to nahin leni naino......kam se kam isi baat par do minat kaa maun rakh lo naa........!!

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  10. छोटी-सी मगर आह्लादकारी पोस्ट...और आप amitraghat पर आईं आपका आभार!
    amitraghat.blogspot.com

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  11. अकेलेपन,तानो से आहत आखिर नैनो ने खुद को समाप्त करने का निर्णय लिया..... और जल गई नैनो "

    दो मिनट का मौन तो बनता ही है..

    हांलांकि ये एक हादसा था....पर नैनो के अकेलेपन को बखूबी उभारा है....और इस नैनो के माध्यम से एक बात और बताने का प्रयास है कि अकेलापन कितना भयावह हो सकता है....इस हास्य में भी बहुत गंभीर बात मुझे दिखाई दी...

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  12. itni khubi se likha hai apne nano ke dard ko ki me to ab nano ko tanha na dekh paunga

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